देख तो क्या कमाल रखती हैं तेरी आँखें सवाल रखती हैं चली आती हैं मेरी ख़ल्वत में यादें कितना ख़याल रखती हैं सामने जिस क़दर भी मुश्किल हो सब दुआएँ सँभाल रखती हैं इश्क़ में हैं सऊबतें ऐसी मुझ को हर पल निढाल रखती हैं शोख़ चंचल अदाएँ भी तेरी आप अपनी मिसाल रखती हैं तुझ से ये दूरियाँ 'फ़िगार' अक्सर मेरा जीना मुहाल रखती हैं