देखना हुस्न-ए-तलब क्या माँगने आया हूँ मैं इक मोहब्बत की नज़र बस प्यार का भूका हूँ मैं अपनी हस्ती की ख़बर है जानता हूँ क्या हूँ मैं एक मुश्त-ए-ख़ाक हूँ सिमटा हुआ सहरा हूँ मैं जिस के इक जल्वे ने दीवाना बनाया है मुझे उस बुत-ए-बेदाद-गर को ढूँढता फिरता हूँ मैं आप ने अपना लिया तो वास्ता दुनिया से क्या मेरी दुनिया आप हैं और आप की दुनिया हूँ मैं ग़ैर तो कहते रहेंगे ख़ैर जाने दीजिए ठीक कहते हैं बुरा हूँ क्या कहूँ अच्छा हूँ मैं रात दिन जो आतिश-ए-फ़ुर्क़त में जलता हूँ 'कँवल' ख़ूब उन की बेवफ़ाई का मज़ा लेता हूँ मैं