देखो अपनी आँख-मिचौली एक हक़ीक़त हो गई ना तुम से मुझ को मुझ से तुम को आज मोहब्बत हो गई ना मैं ने कहा था धूप में मेरे साथ न तुम चल पाओगे मैली मैली तुम्हारी उजली चाँद सी सूरत हो गई ना महफ़िल में हँसते हैं लेकिन तन्हाई में रोते हैं एक सी मेरी और तुम्हारी अब ये हालत हो गई ना दोज़ख़ में पहुँचाए बड़ों को उन के दिखावे के सज्दे बच्चों को माँ की ख़िदमत से हासिल जन्नत हो गई ना दीद का मैं भूका हूँ 'हाफ़िज़' उस का रुख़ है इक लुक़्मा उस को देखा तो पूरी आँखों की ज़रूरत हो गई ना