दिल्ली के बीच हाए अकेले मरेंगे हम तुम आगरे चले हो सजन क्या करेंगे हम यूँ सोहबतों कूँ प्यार की ख़ाली जो कर चले ऐ मेहरबान क्यूँकि कहूँ दिन फिरेंगे हम जिन जिन को ले चले हो सजन साथ उन समेत हाफ़िज़ रहे ख़ुदा के हवाले करेंगे हम भूलोगे तुम अगरचे सदा रंग-जी हमें तो नाँव बैन-बैन के तुम को धरेंगे हम इख़्लास में कता है तुम्हें 'आबरू' अभी आए न तुम शिताब तो तुम सीं लड़ेंगे हम