देस रावन का है सीने में छुपा लो न मुझे मैं कोई राम नहीं घर से निकालो न मुझे दर-ब-दर कर के सबा जाने कहाँ ले जाए सूनी गलियों की विरासत हूँ उछालो न मुझे उस के ख़ंजर की बहक भी बड़ी जाँ-लेवा है मैं कि कुछ भी न सही सामने डालो न मुझे मैं तमाशा नहीं अपने लिए इतना समझो फिर कभी देखना ऐ देखने वालो न मुझे ख़ुद को महसूस किए जाना इबादत से सिवा बहता दरिया हूँ समुंदर में तो डालो न मुझे