धुआँ-धुआँ है सर-ए-आसमाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ धड़क रहा है दिल-ए-ना-तवाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ न कोई मीर-ए-सफ़र है न कोई मंज़िल है भटक रहा है मिरा कारवाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ न इल्तिफ़ात न पुर्सिश न वास्ता न कलाम वो हो गए हैं बहुत बद-गुमाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ न जाने अहल-ए-वफ़ा पर अब और क्या गुज़रे बदल रहा है निज़ाम-ए-जहाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ चला था साथ मगर रात के अंधेरे में बिछड़ गया वो कहीं मेहरबाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ भरी बहार में ये हाल है गुलिस्ताँ का मुहीत रहती है हर दम ख़िज़ाँ ख़ुदा-हाफ़िज़ 'जमील' याद है अब तक कि दीदा-ए-तर से कहा था उस ने तह-ए-साएबाँ ख़ुदा-हाफ़िज़