धुँद है या धुआँ समझता हूँ वुसअत-ए-आसमाँ समझता हूँ इश्क़ की लज़्ज़तों से हूँ वाक़िफ़ दर्द-ओ-आह-ओ-फुग़ाँ समझता हूँ ग़र्क़ होते जहाज़ देखे हैं सैल-ए-वक़्त-ए-रवाँ समझता हूँ गुफ़्तुगू करता हूँ दरख़्तों से पंछियों की ज़बाँ समझता हूँ वो कमाल-ए-शुऊ'र-ए-पाया है अन-कही दास्ताँ समझता हूँ