धुँद में डूबी सारी फ़ज़ा थी उस के बाल भी गीले थे जिस की आँखें झीलों जैसी जिस के होंट रसीले थे जिस को खो कर ख़ाक हुए हम आज उसे भी देखा तो हँसती आँखें अफ़्सुर्दा थीं होंट भी नीले नीले थे जिन को छू कर कितने 'ज़ैदी' अपनी जान गँवा बैठे मेरे अहद की शहनाज़ों के जिस्म बड़े ज़हरीले थे आख़िर आख़िर ऐसा हुआ कि तेरा नाम भी भूल गए अव्वल अव्वल इश्क़ में जानाँ हम कितने जोशीले थे आँखें बुझा के ख़ुद को भुला के आज 'शनास' मैं आया हूँ तल्ख़ थीं लहजों की बरसातें रंग भी कड़वे-कसीले थे