ध्यान में कौन दरिंदा है जो बेदार हुआ मैं किसी बू की जलन पा के ख़बर-दार हुआ बाग़ की सम्त से आती है हवा सहमी हुई कौन इस हब्स के मौसम में सदाकार हुआ उस जज़ीरे की तरफ़ सोच-समझ कर जाना जो तिरे मौज में आने से नुमूदार हुआ तुम को लगता है कि आसान है दुनिया-दारी कार-ए-दुनिया में पटा हूँ तो वफ़ादार हुआ इस बदन पर भी मिरा काम दिखाई देगा और वो काम कि जैसे कोई शहकार हुआ उस ने हर सोच की ज़म्बील उलट कर रख दी और मैं ख़्वाब दिखाने का सज़ा-वार हुआ