दिखाए मोजज़े गर वो बुत-ए-अय्यार चुटकी में तो बोले ताइर-ए-रंग-ए-हिना हर बार चुटकी में हिनाई फुंदकेँ हैं सुर्ख़ है सोफ़ार चुटकी में खिलाया है मिरे क़ातिल ने क्या गुलज़ार चुटकी में सितारी है तुम्हारी या कि नग़्मों का ख़ज़ाना है बनी मिज़राब भी मिन्क़ार-ए-मूसीक़ार चुटकी में मिले गर ख़ाक-ए-दर तेरी तो है इक्सीर की चुटकी अभी होता है अच्छा ये दिल-ए-बीमार चुटकी में लिया था इस ज़मीं में इम्तिहान-ए-तब्अ यारों से किए मौज़ूँ ये हम ने ऐ 'नसीम' अशआर चुटकी में