दिल अज़ल से मरकज़-ए-आलाम है शीशा-ए-आग़ाज़ में अंजाम है चश्म-ए-साक़ी का ये सारा काम है नश्शा-ए-मय मुफ़्त में बदनाम है बादा-ए-अहमर से ख़ाली जाम है दिल तो है लेकिन बरा-ए-नाम है वजह-ए-तस्कीं दिल की धड़कन बन गई अब हवा चलती है कुछ आराम है मरहबा ऐ कासा-ए-चर्ख़-ए-कुहन गर्दिशें जब तक हैं तेरा नाम है तेरी क़िस्मत ही में ज़ाहिद मय नहीं शुक्र तो मजबूरियों का नाम है