दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का तेरे मजनूँ को कहाँ पास है रुस्वाई का बर्ग-ए-गुल से भी कम अब कोह-ए-ग़म उस ने जाना ये भरोसा तो न था दिल की तवानाई का कीजिए चाक गरेबाँ को बहार आई है ज़िक्र बे-लुत्फ़ है याँ सब्र ओ शकेबाई का सर्व साबित-क़दम इस वास्ते गुलशन में रहा नहीं देखा कभी जल्वा तिरी रानाई का ज़ोर मंज़ूर-ए-नज़र तो तू 'फ़ुग़ाँ' रखता है मैं तो बंदा हूँ तिरी चश्म की बीनाई का