दिल-ए-बे-मुद्दआ ने मार डाला मुझे मेरी हया ने मार डाला क़ज़ा को चाहिए था इक बहाना मुझे तेरी दुआ ने मार डाला जिसे पाला था तेरे गेसुओं ने उसे बाद-ए-सबा ने मार डाला ज़माने की हवा कब रास आई ज़माने की हवा ने मार डाला जिसे अपना समझ के दिल लगाया उसी दैर-आश्ना ने मार डाला मुझे तो मार सकता था न कोई मोहब्बत की अदा ने मार डाला तलाश-ए-यार में फिरता हूँ कब से किसी के नक़्श-ए-पा ने मार डाला बुज़ुर्गों की दुआ से बच गया था मुझे मेरी दुआ ने मार डाला 'रफ़ीक़' इक रोज़ तो मरना है लेकिन किसी रंगीं अदा ने मार डाला