दिल-ए-बेताब का आना सितम है तड़प कर फिर मचल जाना सितम है मुझे समझा रही है ग़ैरत-ए-दिल वफ़ा से तेरा फिर जाना सितम है वो रह कर चुटकियाँ लेते हैं क्या क्या सितम है दिल में भी आना सितम है मिरी नाकामियाँ ये कह रही हैं नुक़ूश-ए-ग़म का मिट जाना सितम है मिटी जाती हैं मेरी आरज़ूएँ किसी को राह पर लाना सितम है किताब-ए-इश्क़ को करता हूँ मैं जम्अ' वर्क़ का अब बिखर जाना सितम है कहीं राज़-ए-मोहब्बत खुल न जाए ज़बाँ पर नाम का लाना सितम है दम-ए-आख़िर हुआ मुझ को ये मालूम फ़रेब-ए-ज़िंदगी खाना सितम है मिरी ग़ैरत को कब है ये गवारा तसव्वुर में तिरा आना सितम है समझता हूँ मआल-ए-आरज़ू को मगर अब तुझ को समझाना सितम है गरेबाँ है गरेबाँ दस्त-ए-वहशत तिरा हद से गुज़र जाना सितम है फँसा क्यों मैं फ़रेब-ए-आरज़ू में अदा के फेर में आना सितम है तुम्हीं ने दावत-ए-नज़्ज़ारा दी थी यकायक हाए छुप जाना सितम है कभी रक़्साँ थीं जिन आँखों में उल्फ़त उन आँखों का बदल जाना सितम है जफ़ा जब हासिल-ए-उल्फ़त है ऐ दिल 'वफ़ा' के फेर में आना सितम है