दिल जिन को ढूँढता है न-जाने कहाँ गए ख़्वाब-ओ-ख़याल से वो ज़माने कहाँ गए मानूस बाम-ओ-दर से नज़र पूछती रही उन में बसे वो लोग पुराने कहाँ गए उस सरज़मीं से थी जो मोहब्बत वो क्या हुई बच्चों के लब पे थे जो तराने कहाँ गए अपनी ख़ता पे सर को झुकाया है आज क्यूँ अज़बर जो आप को थे बहाने कहाँ गए पत्थर समाअ'तों से ज़बाँ गुंग हो गई हम भी गए तो हाल सुनाने कहाँ गए बे-महरी-ए-हयात तुझे कुछ ख़बर भी है देखे गए जो ख़्वाब सुहाने कहाँ गए बचपन सहेलियाँ वो हमा-वक़्त की हँसी 'अम्बर' वो ज़िंदगी के ख़ज़ाने कहाँ गए