हश्र पर वा'दा-ए-दीदार है किस का तेरा लाख इंकार इक इक़रार है किस का तेरा न दवा से उसे मतलब न शिफ़ा से सरोकार ऐसे आराम में बीमार है किस का तेरा लाख पर्दे में निहाँ शक्ल है किस की तेरी जल्वा हर शय से नुमूदार है किस का तेरा और पामाल-ए-सितम कौन है तू है 'बेख़ुद' उस सितमगर से सरोकार है किस का तेरा