दिल जो तेशा-ज़नी पे माइल है कुछ न कुछ रास्ते में हाइल है तू जो हैरत-ज़दा नहीं होता तू मिरी गुफ़्तुगू का क़ाइल है मैं मुसाफ़िर हूँ कोहना रस्मों की मेरे आगे रह-ए-क़बाइल है क्या सुनाऊँ मैं हाल-ए-दिल कि ये दिल तेरी कज-फ़हमियों से घायल है रक़्स करता है हर्फ़ हर्फ़ मिरा मेरे लहजे में कौन पाइल है मेरे पैरों को डसने वाला साँप मेरी गर्दन में क्यूँ हमाइल है