दिल का दिलबर जब से दिल की धड़कन होने वाला है सूना सूना मेरा आँगन गुलशन होने वाला है उस की आँखों में भी हर दम अक्स मिरा ही रहता है अब तो मेरा चेहरा उस का दर्पन होने वाला है नाज़ करूँ या फ़ख़्र करूँ मैं सब कुछ है लाज़िम मुझ को रफ़्ता रफ़्ता दिल में उस का मस्कन होने वाला है प्यार के जज़्बे उस के दिल में जागे हैं और जागेंगे मेरी क़िस्मत का भी तारा रौशन होने वाला है उस से मिल कर दिल का जंगल भीग रहा है उस के ऐसे सावन से भी पहले जैसे सावन होने वाला है देख के उस की सुंदरता को सब सुंदर हो जाते हैं उस की गली का हर इक चेहरा कुंदन होने वाला है उस की मोहब्बत के सदक़े में उस की मोहक चाहत में अब तो 'ज़िया' का भाग यक़ीनन रौशन होने वाला है