दिल के अरमाँ दिल ही दिल में रह गए आह जाते जाते ये सब कह गए उम्र भर पूजा किए ख़्वाबों के बुत जब हक़ीक़त खुल गई सब ढह गए बहर-ए-हस्ती की कशाकश में नदीम चंद तिनकों की तरह थे बह गए हो गए बर्बाद दर्द-ए-दिल के हाथ हाए क्या औरों के ग़म भी सह गए दोस्तो अब के हमें रखना मुआ'फ़ बे-ख़ुदी में जाने क्या क्या कह गए