दिल के मरीज़ ज़ेहन के बीमार क्यों हुए ज़ुल्फ़ों से खेलते थे सर-ए-दार क्यों हुए चिलमन में इज़्तिराब की इक कैफ़ियत थी क्यों जल्वे नज़र के साथ गुनाहगार क्यों हुए दीवाना अपने आप से करता था कुछ कलाम लेकिन ये ज़र्द आप के रुख़्सार क्यों हुए अंगारे जिस चमन में खिले थे बजाए फूल उस की ख़िज़ाँ के आप अज़ादार क्यों हुए बाज़ार में तो शहद की बोतल गराँ नहीं तल्ख़ी है नागवार तो मय-ख़्वार क्यों हुए नाज़ुक बहुत थे पाँव तो सहरा-ए-इश्क़ में कुछ दूर साथ चल के गुनाहगार क्यों हुए बल खा रहे हैं सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार इस लिए 'एहसान' असीर-ए-गेसू-ए-ख़म-दार क्यों हुए