दिल के मारों से बात करता हूँ अपने यारों से बात करता हूँ रात तन्हा गुज़र ही जाती है जब सितारों से बात करता हूँ सब को बस फूल से मोहब्बत है मैं ही ख़ारों से बात करता हूँ तेरे होते हुए ज़माने में मैं हज़ारों से बात करता हूँ वक़्त पर काम क्यों नहीं आए ग़मगुसारों से बात करता हूँ एक मुद्दत किया ख़िज़ाँ का सफ़र अब बहारों से बात करता हूँ मय को भर कर गिलास में 'सोहिल' आबशारों से बात करता हूँ