दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा इन दिनों जी बहुत उदास रहा क्या मज़ा वस्ल में मिला उस के मैं रहा भी तो बे-हवास रहा यूँ खिला अपना ये गुल-ए-उम्मीद कि सदा दिल ये दाग़-ए-यास रहा शाद हूँ मैं कि देख मेरा हाल ग़ैर करने से इल्तिमास रहा जब तलक कि जिया 'हसन' तब तक ग़म मिरे दिल पे बे-क़यास रहा