दिल की बातें मैं समझ पाई नहीं और तुम ने भी तो समझाई नहीं हम को थी उम्मीद आख़िर तक मगर लौट कर रिश्तों में साँस आई नहीं यूँ भी थी मुश्किल पहेली इश्क़ की और कुछ हम ने भी सुलझाई नहीं भूल के तुम को न ली एक साँस भी और तुम कहते हो याद आई नहीं है बड़ा गहरा समुंदर इश्क़ का सब की कश्ती पार लग पाई नहीं