दिल की धड़कन भी जो सुन लो तुम मिरी आवाज़ में तब तुम्हें एहसास होगा दर्द है इस साज़ में बे-वज्ह थक कर नहीं बैठे हैं कुछ ताइर यहाँ लग गया है कोई ग्रहन उन की भी परवाज़ में इस जहाँ की बज़्म से वो शख़्स प्यासा जाएगा फ़िक्र है अंजाम की बस जिस को हर आग़ाज़ में राज़ था जो खुल गया वो इक इशारे पर यहाँ क्या कशिश बाक़ी रही यारों मिरे हमराज़ में बे-सबब कहता नहीं कोई ग़ज़ल शाइ'र यहाँ कोई ख़्वाहिश तो छुपी है उस के इस अंदाज़ में बरतरी का इस क़दर 'शमशाद' जिन को हो भरम कमतरी को पाओगे तुम उन के हर अंदाज़ में