दिल की हो दिल से मुलाक़ात बहुत मुश्किल है और सब सहल है ये बात बहुत मुश्किल है इश्क़ वालों की तो दावत है जुनूँ से मुमकिन हुस्न वालों की मुदारात बहुत मुश्किल है बज़्म-ए-फितरत के भी आईन कहीं बदले हैं सब के माबैन मुसावात बहुत मुश्किल है जेब ख़ाली हो तो इक लम्हा भी होता है पहाड़ मुफ़्लिसी में बसर-औक़ात बहुत मुश्किल है हदिया-ए-ग़म हैं 'मुनव्वर' मिरे दिल के टुकड़े कोई ठुकराए ये सौग़ात बहुत मुश्किल है