दिल की वीरानियों में हमें ख़्वाहिशें देख टोका करें हम यतीमों के डर से डरें बिन बताए न जाया करें जिस्म झुलसाइये लब-ब-लब बुझ न जाए कहीं पर तलब हम पतंगे नहीं जो जलें आग हैं आप माना करें यूँ भी तकलीफ़ घटती नहीं सो तकल्लुफ़ ज़रूरी नहीं आप आएँ न तो सह भी लें पूछ कर तो न आया करें ग़म ख़ुशी या ग़लत और सही छोड़िए बात दस्तूर की हादसों के लिए छोड़ दें ख़ुद-कुशी पे न रोया करें रक़्स तो अस्ल है बा'द में यूँ अभी से न आहें भरें जब तलक मौत तय्यार हो ज़िंदगी से गुज़ारा करें