दिल को आए कि निगाहों को यक़ीं आ जाए किसी उनवाँ तो कोई मेरे क़रीं आ जाए बिखरे रहने दो सर-ए-राह निशान-ए-कफ़-ए-पा जाने किस दम कोई आवारा-जबीं आ जाए सुनते जाओ मिरा बे-रब्त फ़साना शायद इन्ही बातों में कोई बात हसीं आ जाए और फिर इस के सिवा सेहर-ए-मोहब्बत क्या है? यक-ब-यक जैसे कोई दिल के क़रीं आ जाए जाम क्या चीज़ है मय-ख़ाना उड़ाओ यारो! जाने किस दम लब-ए-साक़ी पे ''नहीं'' आ जाए वो तिरी याद का परतव हो कि हो साया-ए-ज़ुल्फ़ चैन आ जाए तबीअत को कहीं आ जाए