दिल को दार-उस-सुरूर कहते हैं जल्वा-गाह-ए-हुज़ूर कहते हैं न कहें बा-वफ़ा मुझे मुँह से हाँ वो दिल में ज़रूर कहते हैं वो मुझे और कुछ कहें न कहें शेफ़्ता तो ज़रूर कहते हैं इक ख़ुदाई कहा करे क़हहार हम तो उस को ग़फ़ूर कहते हैं पी के देखी भी हज़रत-ए-वाइज़ आप जिस को तुहूर कहते हैं