दिल को हरीफ़-ए-नाज़ किए जा रहा हूँ मैं हर शय से बे-नियाज़ किए जा रहा हूँ मैं शुक्र-ए-निगाह-ए-नाज़ किए जा रहा हूँ मैं फ़ितरत को कारसाज़ किए जा रहा हूँ मैं है जुस्तुजू-ए-सिर्र-ए-हक़ीक़त-रवाँ-फरोज़ राह-ए-तलब दराज़ किए जा रहा हूँ मैं दुनिया को दे रहा हूँ सबक़ हुस्न-ओ-इश्क़ का इफ़्शा हर एक राज़ किए जा रहा हूँ मैं होगा कभी तो हुस्न-ए-हक़ीक़त नज़र-नवाज़ नज़्ज़ारा-ए-मजाज़ किए जा रहा हूँ मैं नाकामी-ए-उमीद से घबरा न जाए दिल क़िस्मत पर अपनी नाज़ किए जा रहा हूँ मैं महरूम रह न जाए कोई तिश्ना-काम 'राज़' अर्ज़ां शराब-ए-राज़ किए जा रहा हूँ मैं