दिल को रहीन-ए-बंद-ए-क़बा मत किया करो है ला-इलाज इस की दवा मत किया करो वैसे तो इख़्तियार है सारा तुम्हें मगर जो नारवा है उस को रवा मत किया करो तौफ़ीक़ तो हुई नहीं ख़ैरात की कभी कहते हैं इस गली में सदा मत किया करो जो मिल गए हैं उन की तवाज़ो को छोड़ कर जो खो गए हैं उन का पता मत किया करो इस का मोआमला है जुदा वज़्अ ही कुछ और दिल में हिसाब-ए-तंगी-ए-जा मत किया करो कुछ और लोग हैं यहाँ इस काम के लिए वाजिब है जो भी क़र्ज़ अदा मत किया करो जैसा भी है वो यार है अपना खुला-डला कुछ इस लिए भी ख़ौफ़-ए-ख़ुदा मत किया करो सच है कि हम से बात भी करना नमाज़ है गर हो सके तो इस को क़ज़ा मत किया करो तुम से तो है 'ज़फ़र' का बस इतना मुतालबा ख़ुद से इसे ज़ियादा जुदा मत किया करो