दिल को ताज़ा मलाल कैसे हो ग़म से रिश्ता बहाल कैसे हो इस से पहले कि वो न पहचाने कर दिया है सवाल कैसे हो हम-सफ़र तू नहीं तो दुनिया में गर्दिश-ए-माह-ओ-साल कैसे हो याद ख़ुद ही बनी हो नश्तर जब ज़ख़्म का इंदिमाल कैसे हो आप का जब गिला नहीं मिटता फिर तअ'ल्लुक़ बहाल कैसे हो हँस के तुम गुफ़्तुगू नहीं करते फिर सुख़न में कमाल कैसे हो 'मीर'-ओ-'ग़ालिब' हैं पासबाँ उस के फिर ग़ज़ल को ज़वाल कैसे हो