दिल को वीराना कहोगे मुझे मालूम न था फिर भी दिल ही में रहोगे मुझे मालूम न था साथ दुनिया का मैं छोड़ूँगा तुम्हारी ख़ातिर और तुम साथ न दोगे मुझे मालूम न था चुप जो हूँ कोई बुरी बात है मेरे दिल में तुम भी ये बात कहोगे मुझे मालूम न था लोग रोते हैं मेरी बद-नज़री का रोना तुम भी इस रौ में बहोगे मुझे मालूम न था तुम तो बे-सब्र थे आग़ाज़-ए-मोहब्बत में 'हफ़ीज़' इस क़दर जब्र सहोगे मुझे मालूम न था