दिल लिए और दिखा दिखा के लिए की जफ़ा और मज़े जफ़ा के लिए रिंद हम हैं तो फिर पिएगा कौन क्या ये उतरी है पारसा के लिए आतिश-ए-हिज्र ऐ मआज़ अल्लाह एक दोज़ख़ है मुब्तला के लिए जितने दिल थे बुतों ने छीन लिए एक का'बा बचा ख़ुदा के लिए हर हसीं पर न यूँ मिटो 'बेताब' एक के हो रहो ख़ुदा के लिए