दिल में इक आतिश-ए-बेनाम-ओ-निशाँ है जैसे कोई शो'ला सा रग-ओ-पै में रवाँ है जैसे अल्लह अल्लाह रे तक़्दीस-ए-मोहब्बत का फ़ुसूँ आफ़त-ए-क़ल्ब-ओ-जिगर राहत-ए-जाँ है जैसे ऐसे लगता है कि इस मय-कदा-ए-हस्ती में ख़ून-ए-दिल क़िस्मत-ए-आ'ली-नफ़साँ है जैसे ज़र्रे ज़र्रे में ये अर्ज़ानी-ए-जल्वा क्या ख़ूब कोई मुतलाशी-ए-साहब-नज़राँ है जैसे आलम-ए-हुस्न है या हुस्न-ए-नज़र का आलम नूर ही नूर ब-हर-सम्त रवाँ है जैसे ऐसे इतराते हैं अरबाब-ए-ख़िरद ऐ 'मंशा' उन के ही हाथों में तंज़ीम-ए-जहाँ है जैसे