दिल में अब आवाज़ कहाँ है टूट गया तो साज़ कहाँ है आँख में आँसू लब पे ख़मोशी दिल की बात अब राज़ कहाँ है सर्व-ओ-सनोबर सब को देखा उन का सा अंदाज़ कहाँ है दिल ख़्वाबीदा रूह फ़सुर्दा वो जोश-ए-आग़ाज़ कहाँ है पर्दा भी जल्वा बन जाता आँख तजल्ली-साज़ कहाँ है बुत-ख़ाने का अज़्म है 'माहिर' का'बे का दर बाज़ कहाँ है