दिल में हज़ार हसरतें पिन्हाँ किए हुए जीते हैं तार तार गरेबाँ किए हुए ऐ रिफ़अत-ए-हयात तिरी जुस्तुजू में हम फिरते हैं ज़ख़्म ज़ख़्म चराग़ाँ किए हुए ऐ दोस्त हम ने दर्द की रातें गुज़ार दीं पलकों पे आँसूओं का चराग़ाँ किए हुए हम वो हैं रिफ़अ'तों की तमन्ना में उम्र भर रहते हैं हादसात को मेहमाँ किए हुए कह दो कली कली से खिले अब चमन चमन हम आ गए हैं अज़्म-ए-बहाराँ किए हुए