दिल में हर-वक़्त यास रहती है अब तबीअ'त उदास रहती है उन से मिलने की गो नहीं सूरत उन से मिलने की आस रहती है मौत से कुछ नहीं ख़तर मुझ को वो तो हर-वक़्त पास रहती है आब-ए-हैवाँ जिसे बुझा न सके ज़िंदगी को वो प्यास रहती है दिल तो जल्वों से बद-हवास ही था आँख भी बद-हवास रहती है उन की सूरत अजब है शो'बदा-बाज़ दूर रह कर भी पास रहती है दिल कहाँ 'अर्श' अब तो पहलू में एक तस्वीर-ए-यास रहती है