दिल में क्या क्या हवस-ए-दीद बढ़ाई न गई रू-ब-रू उन के मगर आँख उठाई न गई हम रज़ा-शेवा हैं तावील-ए-सितम ख़ुद कर लें क्या हुआ उन से अगर बात बनाई न गई ये भी आदाब-ए-मोहब्बत ने गवारा न किया उन की तस्वीर भी आँखों से लगाई न गई आह वो आँख जो हर सम्त रही साइक़ा-पाश वो जो मुझ से किसी उनवान मिलाई न गई हम से पूछा न गया नाम-ओ-निशाँ भी उन का जुस्तुजू की कोई तम्हीद उठाई न गई दिल को था हौसला-ए-अर्ज़-ए-तमन्ना सो उन्हें सरगुज़िश्त-ए-शब-ए-हिज्राँ भी सुनाई न गई ग़म-ए-दूरी ने कशाकश तो बहुत की लेकिन याद उन की दिल-ए-'हसरत' से भुलाई न गई