दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज कोई दिलबर बे-मिसाल आता है आज क्यूँ पड़ा बेहोश उठ हातिफ़ से अब है निदा साहब-ए-जमाल आता है आज संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए तिस पे वो दामन सँभाल आता है आज मुश्तरी ओ ज़ोहरा बाहम साद हैं इस लिए अबरू हिलाल आता है आज तुम सिवा 'चंदा' के दिल में या अली किस की अज़्मत का जलाल आता है आज