मुझे जब मौत ने बोया ज़मीं में By Ghazal << आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है ... दिल में मेरे फिर ख़याल आत... >> मुझे जब मौत ने बोया ज़मीं में मैं फिर उगने को जा सोया ज़मीं में ख़िराम इस हुस्न वाले का है ऐसा गड़े हैं आदमी गोया ज़मीं में मिरा नाम-ओ-निशान निकला ज़मीं से मिरा नाम-ओ-निशाँ खोया ज़मीं में गुज़र-औक़ात करना है यहीं पर ज़मीं पर वक़्त काटो या ज़मीं में Share on: