दिल में तस्वीर तिरी आँख में आसार तिरे ज़ख़्म हाथों में लिए फिरते हैं बीमार तिरे ऐ शब-ए-रंज-ओ-अलम देख ज़रा रहम तो कर आह किस कर्ब में रहते हैं अज़ादार तिरे ज़ो'म है तुझ को अगर अपने क़बीले पे तो सुन मेरे क़दमों में गिरे थे कभी सरदार तिरे आज बाज़ार में लाई गई जब तेरी शबीह भागते दौड़ते आ पहुँचे ख़रीदार तिरे सामने क्यूँ तिरी इस्मत पे उठी है उँगली क्यों ये चर्चे हैं मुसलसल पस-ए-दीवार तिरे इन के दुख-दर्द का तुझ से भी मुदावा न हुआ अपनी हालत पे जो हँसते रहे फ़नकार तिरे मुझ से फिर छुटते हुए अब्र-ए-अलम ने ये कहा आज की शाम पलट आएँगे ग़म-ख़्वार तिरे जाने क्या रंग 'रबाब' अब उन्हें देगी दुनिया किस क़दर दर्द से लबरेज़ हैं अशआ'र तिरे