दिल मिरा उन पे जो आया तो क़ज़ा भी आई दर्द के साथ ही साथ उस की दवा भी आई आए खोले हुए बालों को तो शोख़ी से कहा मैं भी आया तिरे घर मेरी बला भी आई वाए-क़िस्मत कि मिरे कुफ़्र की वक़'अत न हुई बुत को देखा तो मुझे याद-ए-ख़ुदा भी आई हुईं आग़ाज़-ए-जवानी में निगाहें नीची नश्शा आँखों में जो आया तो हया भी आई डस लिया अफ़'ई-ए-शाम-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त ने मुझे फिर न जागूँगा अगर नींद ज़रा भी आई