दिल मिरा बे-क़रार रहता है इक तिरा इंतिज़ार रहता है इक मुसाफ़िर के पाँव में छाले और रस्ता ग़ुबार रहता है वो सताया हुआ मोहब्बत का हर जगह दरकिनार रहता है घर में लड़की जवाँ हुई है क्या फ़िक्र अब बे-शुमार रहता है मेरे सपने में आता है अक्सर वो जो नदिया के पार रहता है वो कटा सा रहा ज़माने से उस के दिल में ग़ुबार रहता है जो मुहाजिर कटा कटा सा था घर में वो तार तार रहता है