दुनिया का ज़र्रा ज़र्रा मियाँ इश्क़ इश्क़ है अदना हो या हो आला यहाँ इश्क़ इश्क़ है जिस रोज़ हम ने ख़्वाब में देखा था आप को उस रोज़ से हमारा मकाँ इश्क़ इश्क़ है दुनिया इसी लिए तो समझ ही नहीं सकी यारो हमारे दिल की ज़बाँ इश्क़ इश्क़ है आँसू जो तेरी याद में टपका था एक शब रुख़्सार पर जो है ये निशाँ इश्क़ इश्क़ है 'सलमान' कैसे लिक्खेगा उस के जमाल को इंकार से भी जिस के अयाँ इश्क़ इश्क़ है