दिल मिरा तीर-ए-सितमगर का निशाना हो गया आफ़त-ए-जाँ मेरे हक़ में दिल लगाना हो गया हो गया लाग़र जो उस लैला-अदा के इश्क़ में मिस्ल-ए-मजनूँ हाल मेरा भी फ़साना हो गया ख़ाकसारी ने दिखाया ब'अद मुर्दन भी उरूज आसमाँ तुर्बत पर मेरे शामियाना हो गया ख़्वाब-ए-ग़फ़लत से ज़रा देखो तो कब चौंके हैं हम क़ाफ़िला मुल्क-ए-अदम को जब रवाना हो गया फ़स्ल-ए-गुल में भी रिहाई की न कुछ सूरत हुई क़ैद में सय्याद मुझ को इक ज़माना हो गया दिल जलाया सूरत-ए-परवाना जब से इश्क़ में फ़र्ज़ तब से शम्अ पर आँसू बहाना हो गया आज तक ऐ दिल जवाब-ए-ख़त न भेजा यार ने नामा-बर को भी गए कितना ज़माना हो गया पास-ए-रुस्वाई से देखो पास आ सकते नहीं रात आई नींद का तुम को बहाना हो गया हो परेशानी सर-ए-मू भी न ज़ुल्फ़-ए-यार को इस लिए मेरा दिल-ए-सद-चाक शाना हो गया ब'अद मुर्दन कौन आता है ख़बर को ऐ 'रसा' ख़त्म बस कुंज-ए-लहद तक दोस्ताना हो गया