दिल ने जीने की जब से ठानी है कितनी पुर-कैफ़ ज़िंदगानी है ये कहाँ वक़्त हम को ले आया ख़ून सस्ता है महँगा पानी है देख कर उन को मुस्कुराए जो हम वो ये समझे कि शादमानी है कब वो मेहनत से मुँह छुपाते हैं जिन को तक़दीर आज़मानी है जान से भी ज़ियादा मुझ को अज़ीज़ दर्द-ए-दिल जो तिरी निशानी है सारी दुनिया को हेच समझोगे जब तलक जोश है जवानी है देखो मत हाथ की लकीर 'शरर' सिर्फ़ मेहनत में कामरानी है