बे-ख़बर हो के भी ख़बर रखना अपनी ग़फ़लत पे ख़ुद नज़र रखना रंजिशें लाख दिल में हों तेरे गुफ़्तुगू फिर भी मो'तबर रखना ज़िंदगी एक चीज़ है अनमोल इस को बेहद सँभाल कर रखना ख़ौफ़ खाना न दुश्मनों से तुम दोस्तों पर मगर नज़र रखना किस को मोहलत है बात सुनने की अपनी रूदाद मुख़्तसर रखना यूँ तो है इख़्तियार में सब कुछ दिल पे क़ाबू 'शरर' मगर रखना