दिल पे है जादू किसी आवाज़ का चल गया है तीर तीर-अंदाज़ का छेड़ो मत बे-वक़्त दिल के तार को कर्ब है इस में शिकस्ता-साज़ का साक़िया ऐसी पिला सहबा के बस दम भरूँ हर कैफ़ मैं दम-साज़ का चाँदी सोना जिस का आब-ओ-नान हो क्या ठिकाना उस की है परवाज़ का ख़ुद निशाने पर शिकारी है 'शफ़ीक़' वार है ऐसा ही कुछ शहबाज़ का