दिल-रुबाओं में है तेरी दिलरुबाई भी जुदा वस्ल भी तेरा जुदा तेरी जुदाई भी जुदा कर्ब-ज़ार-ए-दहर के सहमे हुए लम्हात में मेरे आक़ा है तिरी हिम्मत-फ़ज़ाई भी जुदा राह तेरी जन्नती जलवों से है आरास्ता रह-रवी तेरी जुदा है रहनुमाई भी जुदा मुनफ़रिद है फ़ैज़-बख़्शी में तिरा दस्त-ए-करम और सलीक़े में तिरे दर की गदाई भी जुदा हैं तिरे दरबार के आदाब सब से मुख़्तलिफ़ तेरे संग-ए-आस्ताँ की जब्हा-साई भी जुदा है इबादत पर भरोसा इक जुदा तर्ज़-ए-अमल अर्श-ए-आज़म तक वसीले की रसाई भी जुदा दिल-नवाज़ी में जनाब-ए-मुस्तफ़ा सब से अलग जाँ-निसारी में है उन का हर फ़िदाई भी जुदा मुझ को है 'इक़बाल' इश्क़-ए-मुस्तफ़ा से तर्बियत है उसी नाते मिरी मिदहत-सराई भी जुदा