ग़मों ने कर दिया सीना फ़िगार आहिस्ता आहिस्ता चमन में आ गई फ़स्ल-ए-बहार आहिस्ता आहिस्ता न आएगा तुझे भी चैन दिल को तोड़ने वाले मुझे तो आ ही जाएगा क़रार आहिस्ता आहिस्ता वफ़ाएँ रफ़्ता रफ़्ता अहल-ए-दिल की रंग लाएँगी जफ़ाओं पर वो होंगे शर्मसार आहिस्ता आहिस्ता सुरूर-ओ-कैफ़-ओ-मस्ती का ये आलम है मिरे साक़ी बरसता है निगाहों से ख़ुमार आहिस्ता आहिस्ता चमन के फूल गिन लेना नहीं 'इक़बाल' कुछ आसाँ तुम्हारे दाग़-ए-दिल होंगे शुमार आहिस्ता आहिस्ता